“रात 2 बजे भड़की आग, सुबह तक नहीं हारी! सूरत में भंगार गोदामों का तांडव”

अजमल शाह
अजमल शाह

रविवार देर रात गुजरात के सूरत जिले में ऐसा नज़ारा देखने को मिला, जिसने इलाके को दहशत में डाल दिया।
रात करीब 2 बजे बारडोली की धुलिया चोकड़ी के पास एक भंगार गोदाम से उठी चिंगारी ने देखते ही देखते भीषण आग का रूप ले लिया। आग इतनी तेजी से फैली कि लोग समझ भी नहीं पाए और 11 से ज्यादा गोदाम इसकी चपेट में आ गए
भंगार के गोदाम थे, लेकिन काम किसी ज्वालामुखी से कम नहीं।

प्लास्टिक का जखीरा बना आग का सबसे बड़ा साथी

प्राथमिक जानकारी के मुताबिक, गोदामों में जमा प्लास्टिक स्क्रैप आग के लिए पेट्रोल जैसा साबित हुआ। जैसे ही आग लगी, प्लास्टिक ने उसे ऐसा फैलाया कि लपटें 2 किलोमीटर दूर तक दिखाई देने लगीं। घना और जहरीला धुआं पूरे इलाके में फैल गया, जिससे सांस लेना तक मुश्किल हो गया।
विडंबना यह रही कि जिस प्लास्टिक को कबाड़ समझकर रखा गया था, वही रात का सबसे खतरनाक खिलाड़ी बन गया।

फायर ब्रिगेड की परीक्षा, हर कदम पर खतरा

सूचना मिलते ही फायर ब्रिगेड की 10 से ज्यादा गाड़ियां मौके पर पहुंचीं, लेकिन हालात आसान नहीं थे। फायर अधिकारियों के मुताबिक, प्लास्टिक के कारण आग बार-बार भड़क रही थी, और गोदामों की संकरी बनावट ने अंदर घुसना बेहद मुश्किल बना दिया। एक अधिकारी ने कहा कि यह आग बुझाने से ज्यादा धैर्य और हिम्मत की परीक्षा थी।

10 घंटे की जंग, आग मानने को तैयार नहीं

रात भर चली मशक्कत के बाद भी सोमवार सुबह 10 बजे तक आग पूरी तरह काबू में नहीं आ सकी थी। हालांकि, सबसे बड़ी राहत यह रही कि इस भीषण अग्निकांड में किसी के हताहत होने की सूचना नहीं मिली। फायर विभाग के लिए यह एक “लकी एस्केप” जरूर था, लेकिन खतरे की घंटी भी साफ बज चुकी है।

जांच शुरू: हादसा या लापरवाही?

अब फायर विभाग ने इस घटना की विस्तृत जांच के आदेश दे दिए हैं। जांच में यह पता लगाया जाएगा कि आग शॉर्ट सर्किट से लगी या फिर सुरक्षा मानकों की अनदेखी इसका कारण बनी। गोदाम मालिकों से पूछताछ की जाएगी और फायर सेफ्टी नियमों के पालन की भी जांच होगी।
सवाल वही पुराना है— क्या सुरक्षा नियम सिर्फ फाइलों में ही सुरक्षित हैं?

सूरत का यह अग्निकांड सिर्फ एक हादसा नहीं, बल्कि चेतावनी है। आज नुकसान गोदामों तक सीमित रहा, लेकिन अगर सुरक्षा को गंभीरता से नहीं लिया गया तो अगली आग और भी महंगी साबित हो सकती है। क्योंकि आग को फर्क नहीं पड़ता कि गोदाम भंगार का है या सिस्टम का।

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